The Fact About urdu kahaniyan That No One Is Suggesting

देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई।

मैं आज भी तारे देख रहा हूँ बस जगह बदल गई है और एक बात और कि तब सारे तारे चमकीले दिखते थे, अब धुंधले दिखते हैं। बहुत धुंधले ।अच्छा ...

मोरल – संत की संगति में दुर्जन भी सज्जन बन जाते हैं।

मोरल – संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।

(एक) बाहर शोरगुल मचा। डोड़ी ने पुकारा— “कौन है?” कोई उत्तर नहीं मिला। आवाज़ आई— “हत्यारिन! तुझे कतल कर दूँगा!

भुवाली की इस छोटी-सी कॉटेज में लेटा,लेटा मैं सामने के पहाड़ देखता हूँ। पानी-भरे, सूखे-सूखे बादलों के घेरे देखता हूँ। बिना आँखों के झटक-झटक जाती धुंध के निष्फल प्रयास देखता हूँ और फिर लेटे-लेटे अपने तन का पतझार देखता हूँ। सामने पहाड़ के रूखे हरियाले में कृष्णा सोबती

There was the moment on the time a very poor male, who could no more assist his only son. Then explained the son, Dear father, matters go so badly with us website that I am a burden to you. I would prefer to disappear and find out how I can make my bread.

(एक) काशी जी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान करके एक मनुष्य बड़ी व्यग्रता के साथ गोदौलिया की तरफ़ आ रहा था। एक हाथ में मैली-सी तौलिया से लपेटी हुई भीगी धोती और दूसरे में सुरती की गोलियों की कई डिबियाँ और सुँघनी की एक पुड़िया थी। उस समय दिन के ग्यारह बजे बंग महिला

बीते दिनों से अपने अंदर के एक-एक टुकड़े को हर रोज़ भगा रही थी। आज आखिरी टुकड़ा है जिसे लेकर मैं पूरी तरह से भाग रही हूँ।

चूहे उछल कर भाग गए, किंतु वह डंडा इतना तेज चलाया गया था कि टॉफी रखने वाली शीशे की जार टूट गई।

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अजनार के जंगल में दो बलशाली शेर सूरसिंह और सिंहराज रहते थे। सुरसिंह अब बूढ़ा हो चला था। अब वह अधिक शिकार नहीं कर पाता था।

उस छोटे लड़के की विरासत, जिसने विभाजन को पाटने का साहस किया, जीवित रही।

फिर क्या था , उन लोगों ने राजू को खेलने के लिए अपने पास बुला लिया। राजू खेलने में अच्छा था। इसलिए काफी बेहतरीन शॉर्ट लगा सकता था। गेंद को पकड़ने के लिए और बालकों की आवश्यकता हुई। जिस पर पार्क में खेल रहे और बालक भी उनसे जुड़ गए। और फिर देखते देखते दो दल बन गया।

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